आखर री औकात, पृष्ठ- 12

सांस बीनणी
उमर धींसणो है
दुख दायजो
०००

तपता धोरा
अन्त बिहूणी जात्रा
बो दीखै पाणी
०००

माटी रळां म्हे
आभै पांगरो आप
खाद हां म्हे तो
०००

दारू, लुगाई-
थांरी दुनिया, म्हांरी-
आंसू’र धूंवो
०००

चढै तावड़ो
छत्तै सूं लेवां रोक
दिन-निरोध
०००

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