तड़फा तोड़्या
पण पार नीं पड़ी
अंगूर खाटा
०००
राज बदळ्यो
रोग किंयां कटसी
लखण सागी
०००
कसाई छोड़्यो
पण म्हैं बच्यो कोनी
थे भायला हा
०००
पीड़ अणंत
छोड़ बाळ गीतां नै
लिख हाइकू
०००
सूरज बोल्यो
दिन भर तो म्हैं हूं
अंधरो हुयां.. ?
०००
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