आखर री औकात, पृष्ठ- 53

रात कचेड़ी
अंधारो लिखै नित
सूरज (नै) फांसी
०००

रात अंधारी
निकळैला सूरज
उदास ना व्है
०००

तूं देख, सुण
रूं-रूं कांपैला बांरा
बोल तो सरी
०००

खून रो रंग
संसार में एक व्है-
भूख री जात
०००

-कठै है रस्तो ?
लाध जासी मत्तैई
भचीड़ खायां
०००

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