आखर री औकात, पृष्ठ- 17

गळी अजाणी
दुनिया री विगतां
आकाशवाणी
०००

भूलां ऐब म्हे
पण आ तो बताओ-
कीं है जेब में ?
०००

घरू रोवणा
काळै कोट री जेबां
घर रो धन
०००

घर-दफ्तर
पछै कीं दूजा काम
दिनूगै सिंझ्या
०००

घड़ीक साफ
आभो आंगणो दीखै
घड़ीक मैलो
०००

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें