आखर री औकात, पृष्ठ- 28

पाणी लाधै तो
बीज सुळबुळावै
जड़ां पकड़ै
०००

एढै-टाकड़ै
देखा देखी मुळकूं
मन उदास
०००

रोसणी सोधी
मिल’र आया पाछा
अंधारो ओढ
०००

भूतां नै नूंतै
भूवाजी इत्ता भोळा
कद सूं व्हैग्या
०००

सोधली आपां
तेजमतेज गाड़ी
कूकै पटड़ी
०००

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