आखर री औकात, पृष्ठ- 29

हियै हरख
उड़ावो गुलाल थे
बजावो चंग
०००

ऊरमा कोनी
जे कोई कीं करै तो
करण नीं द्यां
०००

अबोली पीड़
कागदां माथै लिखै
कूड़ी कलम
०००

सांस गूंथीजै
सांस रै मांय व्है कीं
सुळबुळाहट
०००

जे कीं धोवूं तो
बारै आवण जोगी
कोनी रैवूं म्हैं
०००

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