आखर री औकात, पृष्ठ- 56

सूरज गुण्डो
लुकती फिरै सिंझ्या
गाभां में खून
०००

सूरज कूटी
रीसां बळती हवा
उछाळै खीरा
०००

लुकण आयो
हांफतोड़ो सूरज
सागर खोळै
०००

नाठ्‌यो सूरज
भोर नै छेड़्‌यां पछै
आथूंणै खुणै
०००

रात रै जाळां
पज्यो सूरज नाठै
भोर रै घरां
०००

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