आखर री औकात, पृष्ठ- 57

दूब-सी रातां
सोधी नीं लाधै छींयां
डांग-सा दिन
०००

सूई-सा दिन
भारी व्ही सांसां माथै
मूंसळ रातां
०००

सिंदूरी साड़ी
आ सिंझ्या सुहागण
ओढ’र आई
०००

देख भायला
टूट्‌योड़ी पीळी चूड़ी
आभै लटकै
०००

देख तो सरी
आभै आंगणै उडै
काळा ओढणां
०००

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