राजस्थानी साहित्य में हाईकू एक काव्य-प्रयोग है, जिसके जनक श्री सांवर दइया माने जाते हैं। समकालीन कविता में यह प्रयोग आज एक काव्य-धारा के रूप में देखा जा सकता है। यहां संपूर्ण पुस्तक आपके लिए उपलब्ध है।
आखर री औकात, पृष्ठ- 9
आयै बरस
रेत में रळ जावै
अमी रो टोपो
०००
रोजीना पाटै
उमर-डायरी सूं
सांस रो पानो
०००
थे बांचो पोथा
म्हारै नांव कर द्यो
ढाई आखर
०००
तावड़ो आछो
म्हांरै पगां तो पड़्या
छींया में छाला
०००
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