आखर री औकात, पृष्ठ- 15

रमती सांस
मालक थारी म्है’र
कफ में खून
०००

आं कैरां फूल्या
ऐ लाल चुट्ट पिल्लू
खून री गांठां
०००

सोनो चमकै
थोड़ी आंच बधै तो
ऊफणै दूध
०००

रोटी, बिछाणो
काल री सोच कांईं
आज ठिकाणो
०००

नूंवी लगन-
रोग काटै; सांस ऐ-
धंतरबैद
०००

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