आखर री औकात, पृष्ठ- 36

राजी हुया म्हैं
आखो आभो नापांला
पंख गायब
०००

अंधारो राजा
सूरज नै सुणावै
फांसी री सजा
०००

मालक व्है’र
पोखण रै नांव थे
रगत चूसो
०००

लाय-बुझाय’र
थे भम्पू बजवावो
खाली धूंवो हो
०००

इत्ती-सी जान
ऐ सात आसमान
फेर तूफान
०००

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