आखर री औकात, पृष्ठ- 37

म्हे जो कीं थारां
करां, कुण बरजै
बोलै तो मारां
०००

होठां पै ताळा
गळो टूंपता हाथ
ऐ दिन काळा
०००

नमो है थांनै
उडण री छूट द्यो
पंख काट’र
०००

कंठ अमूजै
जुगां सूं छाती माथै
भूख रा धोरा
०००

अंधार धुप्प
स्सो कीं गमग्यो तो ई
चौफेर चुप्प
०००

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