आखर री औकात, पृष्ठ- 38

स्सै चुप आज
च्यारूं कूंट बोलै है
ऐ हाजरिया
०००

बळती बाजै
दिल्ली दरूजै कानी
सात सिलाम
०००

चील झपट्टो
मूंढै सामै है बिल
धूजै ऊंदरो
०००

उड़ती चिड़ी
देखै आभो अणंत
टूट्‌योड़ा पंख
०००

आगै कीं कोनी
बीं दरूजै आ भाया
स्सो कीं मिलसी
०००

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