आखर री औकात, पृष्ठ- 39

बळती बाजै
पुरवाई मिलसी
करो सिलाम
०००

जे सुख चावो
फरियाद ना करो
जीओ का मरो
०००

आभै चीलखां
बारै निकळै किंयां
मन ऊंदरा
०००

राज आपणो
होठ खोलै कोई तो
काटीजै जीभां
०००

बगत काळो
सांस लेवतां डर
दीवो संभाळो
०००

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